आम जिंदगी में एक कहावत है जितना जितना ज्यादा जोखिम उतना ज्यादा लाभ वो कहावत शेयर बाजार में एक दम ठीक बैठती हैं क्योकि इक्विटी शेयर "उच्च जोखिम, उच्च रिटर्न निवेश" होते हैं। इक्विटी निवेश और सभी अन्य निवेश विकल्पों में प्रमुख अंतर यह है कि जहां अन्य विकल्पों जैसे बैंक जमा, लघु बचत योजनाओं, डिबेंचर, बांड आदि से मिलने वाला लाभ निर्धारित और निश्चित होता है, वहीं इक्विटी निवेशों से होने वाली कमाई बेहद अनिश्चित और विविध होती है। सही समय पर ली गई एक अच्छी स्क्रिप काफी अच्छा रिटर्न दिला सकती है, अन्यथा रिटर्न बेहद कम भी हो सकता है या यह ऋणात्मक भी हो सकता है, यानीशेयर बाजार में किया गया निवेश किया गए रुपये स्वयं भी धीरे धीरे ख़त्म हो सकते है। संक्षेप में, यदि स्थिर आय श्रेणी साधनों में निवेश काफी हद तक सुरक्षित और जोखिम मुक्त होता है, तो इक्विटी और संबंधित क्षेत्रों में निवेश जोखिम भरा माना जा सकता है।
लेकिन शेयर मार्किट में लम्बे समय में नुकसान होने की सम्भावना काफी हद तक काम हो जाती हैं और यह बात मैं ही नहीं कहे रहा बल्कि शेयर मार्किट के भगवान कहे जाने वाले वारेन बफ़ेट जी ने भी कही हैं की लम्बे समय में शेयर बाजार में नुकसान होना असंभव हैं ! अगर हम पिछले ४० से ५० सालो को देखे तो शेयर मार्किट ने १४% से १५% तक कम्पाउंडिंग रिटर्न दिया हैं जो की किसी और एसेट ने नहीं दिया !
लेकिन शेयर मार्किट में लम्बे समय में नुकसान होने की सम्भावना काफी हद तक काम हो जाती हैं और यह बात मैं ही नहीं कहे रहा बल्कि शेयर मार्किट के भगवान कहे जाने वाले वारेन बफ़ेट जी ने भी कही हैं की लम्बे समय में शेयर बाजार में नुकसान होना असंभव हैं ! अगर हम पिछले ४० से ५० सालो को देखे तो शेयर मार्किट ने १४% से १५% तक कम्पाउंडिंग रिटर्न दिया हैं जो की किसी और एसेट ने नहीं दिया !
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